अनिल शंकर झा
जन्मतिथि ः 15 जनवरी 1957
जन्म स्थान ः बंशीपुर, चटमा, बांका
वर्तमान पता: शिक्षक, नवयुग विद्यालय, भागलपुर
पिता - श्री शिवशंकर झा
शिक्षा - स्नातक प्रतिष्ठा (हिन्दी)
सममान और उपाधि - विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ से कविरत्न ।
समय साहित्य सम्मेलन से महावीर प्रसाद द्विवेदी कुलकलाधर । बिहार सरकार राजभाषा विभाग भागलपुर से प्रशस्ति पत्र ।
प्रकाशित कृतियाँ - अरूणिमा (हिन्दी काव्य संग्रह) सूरज के पार (सहयोगी कवि हिन्दी), नदी सूख गई है (लम्बी हिन्दी कविता), अँगना उतरलै चाँच (सहयेागी कवि, अंगिका) प्रतिनिध् िअंगिका कवि (सहयोगी कवि), अहिणी (अंगिका कवित्त संग्रह)
बयान एक पत्राक एवं पहचान पत्रिका का सम्पादन ।
भागलपुर आकशवाणी से अनेकों फीचर, कहानियाँ और निबंध्न प्रसारित
(अंगिका वित लिखने में अनिलजी काफी प्रसिद्ध हो चुके हैं। स्वभाव से सरल, विवाद से दूर, भागदौड़ पसंद नहीं, मच पकड़ने का स्वभाव नहीं, शांति प्रिय कवि अनिल शंकर झा जी एकांत साध्ना के प्रिय हैं। इनका प्रभावकारी व्यक्तित्व, इनकी मध्ु मुस्कान, इनका मिलनसार स्वभाव सबको प्रूारा लगता है। इनका एक कवित नीचे दिया जा रहा है। चकोर)
दुधिया कमल पर, दुधिया वसन पिन्ही
बैठली सरस्वतीजी, मंद-मंद मुसकै,
ढिबरी सन आँख हेरै, मता आ ज्ञान बाँटे
गोरऽ गोरऽ गाल गात, फूल बनी महकै ।
दुधिया जेबर शोभै, अंग लागी छंद मोहै
कविता कला में प्राण मान बनी बिहसै ।
गुणी गुणवन्त हंस, वीण के मंदिर बंद
कुंद की कली के दंत, मंद-मंद चमकै।
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