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Wednesday, 17 December 2014

पी0 एन0 जायसवाल | अंगिका साहित्यकार | P.N.Jaisawal | Angika Litterateur

 

पी0 एन0 जायसवाल | अंगिका साहित्यकार |
P.N.Jaisawal | Angika Litterateur

 

पी0 एन0 जायसवाल

शिक्शा: विज्ञान स्नातक

जन्म - ग्राम -सजौर, जिला-भागलपुर (बिहार)

लेखन- अंगिका की प्रसिद्ध कहानी के नै जाने दै के अलावे अन् यसात अप्रकाशित कहानी। पैहल डेग और भोर दो अप्रकाशित नाटक, लगभग दो दज्न कविताएँ प्रकाशित, ‘अंग मंजरी’ कविता संग्रह के एक कवि।

हिन्दी नाटक की तेरह पुस्तकें (इन्तकाम, चंबल घाटी केा लुटेरा, तिरंगा खतरे में, हथकड़ी, खोल दो, लोहा सिंह, हल के आंसु, बंदुक का धुआं, इनकलाब चीख उठा, लुटेरा नादिरशाह, बगावत कर दो, भूखा हिन्दुस्तान, गद्दार, बंद दरवाजा और जेबकतरे प्रकाशित। विभिन्न

पत्र-पत्रिकाओं में लगभग पचास कविताएॅ प्रकाशित। कविता 98 कविता संग्रह के एक कवि। केक्टस पत्रिका के एक अंक के संम्पूर्ण अंक के कवि।

राश्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्रिकाओं रचनाएँ प्रकाशित (हंस, वर्तमान साहित्य, कािाबिंब, समरलोक, सृश्टि कथाक्रम आदि) अरे जाने दो कहानी संग्रह शीघ्र प्रकाश्य।

संपादक - हिन्दी पत्रिका (साहित्यक) का वर्श 1976-77 में संपादन।

गतिविधि- बचपन से ही रंगमंच से जुड़ाव।

चाली पूर्ण कालिक नाटकों का निद्रेशन।

1970 से भागलपुर में भारती यजन नाट्य संघ (इप्टा) की स्थापना के लिए प्रयत्नशील 15 मार्च 1975 को बिहार इप्टा द्वारा भागलपुर इप्टा की स्थापना के लिए संयोजक मनोनित।

1972 में अंगिका साहित्य से जुड़ाव। पुनः अंगिका साहित्य कला मंच से संबद्ध। कार्यकारिणी सदस्य निर्वाचित। 1979-80-81 में मंच के अंगवााण्ी शाखा के संयोजक निर्वाचित तथा इस पद पर आवंछित मासिक अंगवाणी गोश्ठी का संचालन। 23 अगस्त 1987 को भागलपुर

इप्टा का अनौपचारिक गठन में अध्यक्श पद पर मनोनीत। तब से लेकर नौ सम्मेलनों तक लगातार अध्यक्श पद पर निर्वाचित। इप्टा के अध्यक्श अवधि में अंग सांस्कृतिक महोत्सव 98 जैसे सांस्कृतिक मेले के आयोजन कर अंग प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को गीत-संगीत के

माध्यम से आम आदमी तक पहंुचाने की कोशिश। सामाजिक मूल्यहीनता, सवोतोमुखी भ्रश्टाचार, चौंखुटी गुंडागर्दी और अक्शितिज फैलते शोशण तंत्र के विरोध में भागलपुर, बांका, दुमका, गोड्डा, नौवगछिया एवं उनके दूर दराज गांवों तक ‘इप्टा’ द्वारा प्रदर्शित हजारों नुक्कड़

नाटकों का नेतृत्व।

सम्मान: विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ द्वारा ‘कविरत्न’ से सम्मानित। राजभाशा बिहार से प्रशस्ति पत्र।

सम्पर्क - सरगम /300, कोल्ड स्टोरेज रोड, जबारीपुर, तिलकामांझी भागलपुर-1

 

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