पंडित अनूप कुमार वाजपेयी (जन्म २ नवम्बर १९६३) एगो लेखक, पत्रकार, आरू पुरातत्व अन्वेषक छै, जे खास करी क झारखंड, भारत केरौ संथाल परगना प्रमंडल सहित अंग केरौ प्राचीन इतिहास, पुरातत्व आरू जनजातीय समुदाय पर अपनौ शोध लेली जानलौ जाय छैथ। हुनकौ काम प्राचीन सभ्यता, जीवाश्म (fossil), शिलालेख (inscription) आरू पहाड़िया तथा अन्य क्षेत्रीय समुदाय केरौ संस्कृति प केंद्रित छै।

आरंभिक जीवन आरू परिवार
हुनी वर्तमान में झारखंड केरौ दुमका में रहै छै।
करियर आरू योगदान
पत्रकारिता आरू मीडिया
वाजपेयी तैंतीस साल सँ अधिक समय सँ सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार के रूप मँ काम करी रहलौ छै। हुनको काम, खासकर पुरातत्व, पहाड़िया जनजाति आरू विभिन्न अन्य विषय पर, ऑल इंडिया रेडियो, भागलपुर द्वारा प्रसारित करलौ गेलौ छै आरू समाचार पत्र आरू पत्रिका मँ प्रकाशित भेलौ छै। सूचना आरू जनसंपर्क विभाग, संथाल परगना, दुमका प्रमंडल कार्यालय, भी हुनको पुरातत्व खोज पर आधारित सचित्र सीडी आरू वीडियो सीडी जारी करनें छै।
पुरातत्व आरू ऐतिहासिक शोध
वाजपेयी कऽ संथाल परगना क्षेत्र में पुरातत्व आरू जीवाश्म विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान लेली जानलऽ जाय छै।
जीवाश्म खोज
जीवाश्म के अध्ययन के आधार पऽ, हुनी राजमहल पहाड़ी क्षेत्र में दक्षिण अफ्रीका में मिललऽ जीवाश्म जैसनऽ जीवाश्म केरौ खोज केरौ सूचना देनें छैथ, जे ३० करोड़ साल सँ भी अधिक पुरानऽ छै। ई खोज में कार्बोनिफेरस काल केरौ विभिन्न पौधा, बीज, हिरण केरौ खूर, मछली, गिलहरी, आरू यहाँ तक कि चट्टान में बंद मानव पदचिह्न केरौ छाप शामिल छै।
प्राचीन सभ्यता केरौ सिद्धांत
वाजपेयी केरौ भूविज्ञान आरू जीवाश्म विज्ञान में शोध के कारण हुनी ई परिकल्पना प्रस्तुत करनें छैथ कि विश्व केरौ सबसँ प्राचीन सभ्यता राजमहल क्षेत्र (अंग क्षेत्र/प्रान्त आरू संथाल परगना सहित) में विकसित भेलऽ होय सकै छै, जे सिंधु घाटी सभ्यता सँ भी पुरानऽ छै। हुनी सुझाव दै छैथ कि ई क्षेत्र सतह के नीचे दबायलऽ ढेरी गाँव आरू प्राचीन बस्ती कऽ समेटनें छै, जे ई संभावना कऽ इंगित करै छै कि पाषाण युग केरौ उत्पत्ति ओहीं सँ भेलऽ होय सकै छै। ई सिद्धांत केरौ विस्तृत वर्णन हुनकऽ किताब विश्व की प्राचीनतम सभ्यता में करलौ गेलौ छै। हुनी खास करी कऽ दुमका केरौ शिकारी पाड़ा में चंदनघाट नाला नदी केरौ महत्व कऽ उजागर करै छैथ, जहाँ हुनी पत्थर के औजार केरौ सबूत मिललऽ छेलै।
शिलालेख अध्ययन
वाजपेयी केरौ सबसँ महत्वपूर्ण अभिलेखीय योगदान में सँ एगो देवघर केरौ बाबा बैद्यनाथ मंदिर के ऊपर वरुण कलश (जल पात्र/कलश) पर मिललऽ शिलालेख केरौ खोज आरू अध्ययन छै। हुनकऽ अध्ययन, जे श्लोक संदेश के रूप में छै, ई सुझाव दै छै कि ई मंदिर केरौ कलश राजा चंद्रमाउलीश्वर द्वारा विक्रम संवत् १४ केरौ श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन स्थापित करलौ गेलऽ छेलै। वाजपेयी केरौ तर्क छै कि ई शिलालेख देवनागरी लिपि केरौ एगो प्रारंभिक रूप छै आरू रुद्रदमन केरौ शिलालेख सँ भी पुरानऽ छै। हुनी संथाल परगना केरौ मंदिर में मिललऽ अनगिनत अन्य दुर्लभ शिलालेख, अभिलेख, आरू लिपि केरौ भी अध्ययन करनें छैथ।
सामाजिक आरू सांस्कृतिक कार्य
वाजपेयी कऽ पहाड़िया आरू अन्य आदिवासी समुदाय लेली सामाजिक सेवा में, साथ ही अंगिका आरू आदिवासी भाषा जैसनऽ क्षेत्रीय भाषा के अध्ययन में विशेष रुचि छै। हुनकऽ किताब पूर्वी भारत के पहाड़िया ई क्षेत्र में एगो उल्लेखनीय काम छै।
साहित्यिक रचना आरू प्रकाशन
पंडित अनूप कुमार वाजपेयी एगो सक्रिय लेखक छैथ, जिनका केरौ काम खास करी कऽ इतिहास, पुरातत्व आरू संस्कृति पऽ केंद्रित छै। हुनकऽ कई गो किताब कऽ सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय (SKMU), दुमका केरौ स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल करलौ गेलौ छै।प्रकाशन वर्ष शीर्षक विषय/भूमिका प्रकाशक SKMU पाठ्यक्रम में समावेशन२००९ राजमहल इतिहास आरू पुरातत्व उप निदेशक, सूचना आरू जनसंपर्क विभाग (झारखण्ड), दुमका —
२०११ पूर्वी भारत के पहाड़िया (The Paharia of Eastern India) क्षेत्रीय समुदाय अध्ययन लेखक-प्रकाशित एम.ए. इतिहास (२०१४-१५ सत्र) आरू एम.ए. संथाल संस्कृति अध्ययन (२०२१-२३ सत्र) में शामिल।
२०१७ "अंगिका/खोरठा: पं. अनूप कुमार वाजपेयी सँ साक्षात्कार संवाद" (Interview) अंगिका/संस्कृत तुलनात्मक अध्ययन समीक्षा प्रकाशन एम.ए. संस्कृत में तुलनात्मक अध्ययन सहायता के रूप में शामिल (२०१९-२१ सत्र)।
२०१८ भारतीय लोक देवता कोश (Encyclopedia of Indian Folk Deities) भारतीय लोक संस्कृति समीक्षा प्रकाशन एम.ए. (स्नातकोत्तर) पाठ्यक्रम में शामिल (२०१९-२१ सत्र)।
२०१८ विश्व की प्राचीनतम सभ्यता (The World's Most Ancient Civilization) प्राचीन इतिहास, पुरातत्व समीक्षा प्रकाशन एम.ए. संस्कृत में बहु-विषयक शोध लेली शामिल (२०१९-२१ सत्र)।
२०२१ पावस-पीयूष (संस्करण) संपादित ब्रजभाषा काव्य (हिंदी अनुवाद सहित) रामचरण वाजपेयी द्वारा समीक्षा प्रकाशन —
२०२३ पूर्वी भारत केरौ दुमका जिला केरौ धार्मिक-सांस्कृतिक-पुरातत्विक झलक दुमका केरौ धार्मिक-सांस्कृतिक-पुरातत्विक झलक समीक्षा प्रकाशन —
२०२३ श्रीमद्दुवेभयहरनचरितामृत (संस्करण) संपादित काव्य (हिंदी अनुवाद सहित) रामचरण वाजपेयी द्वारा समीक्षा प्रकाशन —
हुनी एगो व्यापक अंगिका शब्दकोश (बृहद् अंगिका शब्दकोश) पऽ भी सक्रिय रूप सँ काम करी रहलऽ छैथ।
विरासत
पंडित अनूप कुमार वाजपेयी केरौ कठोर शोध आरू सिद्धांत, खास करी कऽ राजमहल क्षेत्र केरौ प्राचीन इतिहास आरू जीवाश्म विज्ञान सँ संबंधित, एगो भारतीय दृष्टिकोण सँ वैश्विक इतिहास केरौ पुन:लेखन लेली एगो नया परिप्रेक्ष्य देनै केरौ लक्ष्य रखै छै। हुनकऽ परिवार, हुनकऽ अगुआई में, साहित्यिक काम में सक्रिय रूप सँ जुड़लऽ छै। हुनी एगो निजी संग्रहालय कऽ बरकरार रखनें छैथ, जे में दुर्लभ ऐतिहासिक साक्ष्य आरू फोटो छै, जे शोधकर्ता आरू शिक्षाविद् लेली एगो संसाधन के रूप में काम करै छै।ग्रन्थसूची
वाजपेयी, अनूप कुमार (२००९). राजमहल. दुमका: सूचना आरू जनसंपर्क विभाग (झारखण्ड).
वाजपेयी, अनूप कुमार (२०११). पूर्वी भारत के पहाड़िया. लेखक-प्रकाशित.
वाजपेयी, अनूप कुमार (२०१८). भारतीय लोक देवता कोश. दिल्ली/मुजफ्फरपुर: समीक्षा प्रकाशन.
वाजपेयी, अनूप कुमार (२०१८). विश्व की प्राचीनतम सभ्यता. दिल्ली/मुजफ्फरपुर: समीक्षा प्रकाशन.

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