गोरे लाल मनीषी (स्व.) | अंगिका साहित्यकार
Gore Lal Manishi (Late) | Angika Litterateur
जन्म तिथि-1 जनवरी 1944 ई.
जन्म स्थान- ग्राम+पो0-खानपुर माल, भाया--सुलतानगंज, जिला-भागलपुर (बिहार)
माता-स्व. सुन्दरी देवी
पिता - स्व. नारायण महतो
शिक्षा - बी.एस.सी. (सिविल इंजी0 ), बी0एल0
सेवा : कार्यपालक अभियंता (स्वेच्छया सेवा निवृत)
सृष्टि विधा व कृतित्वः स्कूली जीवन में ही एक प्रमुख पत्रिका जनजीवन में प्रथम कविता प्रकाशित । अंग माधुरी में कई कवितायें और चर्चित कहानियाँ प्रकाशित। अंगिका से हिन्दी में अनुदित कहानी ‘उतर बिहार’ पत्रिका में प्रकाशित। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में समान रूप से लेखन।
विशेष कथन- बिहार सरकार (जल संसाधन विभाग) की सेवा में रहते हुए एक ‘प्रयोग’ के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निश्चय सेवा के प्रारंभकाल में ही किया। यह ‘‘प्रयोग’’ है राजकीय अपना जीवन समर्पित करने का निश्चय सेवा के असहयोग और इसके नतीजों को झेलने के लिए प्रस्तुत रहना। जिधर मुड़े सारी उर्जा पूरी तरह उधर ही झोंक देने की लत के अनुसार अपना सारा कैरियर इसी प्रयोग के पीछे खपा देने के बाद जिस निश्कर्श पर पहुँचा वह यह है कि सामान्यतया भ्रश्टाचार के जरिए बिहार को डुबोने में राजनैतिक नेतृत्व और नौकरशाही का सहयोगी बनकर ही सेवा में बने रहना ग्लानिजनक महसूस हेने के कारण स्वेच्छया सेवा निवृति का मार्ग चुनना पड़ा। अब शेश उर्जा पुनः साहित्य सेवा और आजादी बचाओं आन्दोलन, जिन्हें ये एक दूसरे ाक पूरक मानते है। में झोकने की ओर का उपक्रम है।
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