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Wednesday, 17 December 2014

गोरे लाल मनीषी (स्व.) | अंगिका साहित्यकार | Gore Lal Manishi (Late) Angika Litterateur



गोरे लाल मनीषी (स्व.) | अंगिका साहित्यकार
Gore Lal Manishi (Late) | Angika Litterateur

नाम - गोरे लाल मनीषी (स्व.)

जन्म तिथि-1 जनवरी 1944 ई.
 
निधन - 30 सितंबर, 2012 ई.

जन्म स्थान- ग्राम+पो0-खानपुर माल, भाया--सुलतानगंज, जिला-भागलपुर (बिहार)

माता-स्व. सुन्दरी देवी

पिता - स्व. नारायण महतो

शिक्षा - बी.एस.सी. (सिविल इंजी0 ), बी0एल0

सेवा : कार्यपालक अभियंता (स्वेच्छया सेवा निवृत)
 
साहित्य विधा - अंगिका व हिन्दी में कहानी, कविता, अनुवाद 
 
कृति - समकालीन अंगिका व हिन्दी की पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनायें   ।
 
जीवनकाल के दौरान निभाई गईं संस्थागत जिम्मेवारी - 
1. मुख्य संयोजक, बिहार राज्य इकाई, आजादी बचाओ आंदोलन। 
2. संस्थापक अध्यक्ष, अखिल भारतीय अंग-अंगिका विकास मंच, पटना (स्थापना वर्ष 1994)
3. अध्यक्ष, बिहार अभियन्त्रण सेवा संघ, पटना।
4. आजीवन संरक्षक, बिहार पेंशनर समाज, पटना।
5. आजीवन सदस्य - अभियंता संस्थान कलकता भारत, भारतीय कंक्रीट संस्थान, चेन्नई,
6.आजीवन सदस्य -भारतीय जियोटेकनिकल सोसाइटी, नई दिल्ली, 
7.आजीवन सदस्य -भारतीय भूकम्प टैनोलॉजी सोसाइटी, रूड़की, 
8.आजीवन सदस्य -भारतीय जल संसाधन सेसाइटी, रूड़की, 
9.आजीवन सदस्य -कॉमन काउज, नई दिल्ली, 
10.आजीवन सदस्य -भारतीय जल संसाधन सोसाइटी, रूड़की, 
11.आजीवन सदस्य -अखिल भारतीय जन विज्ञान आंदोलन, नई दिल्ली
 12.सदस्य, अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन।
13. सदस्य, श्री अरविन्द सोसाइटी, श्री अरविन्द आरम पाण्डिचेरी ।
 

सृष्टि विधा व कृतित्वः स्कूली जीवन में ही एक प्रमुख पत्रिका जनजीवन में प्रथम कविता प्रकाशित । अंग माधुरी में कई कवितायें और चर्चित कहानियाँ प्रकाशित। अंगिका से हिन्दी में अनुदित कहानी ‘उतर बिहार’ पत्रिका में प्रकाशित।  साहित्य की लगभग सभी विधाओं में समान रूप से लेखन। 


विशेष कथन- बिहार सरकार (जल संसाधन विभाग) की सेवा में रहते हुए एक ‘प्रयोग’ के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निश्चय सेवा के प्रारंभकाल में ही किया। यह ‘‘प्रयोग’’ है राजकीय अपना जीवन समर्पित करने का निश्चय सेवा के असहयोग और इसके नतीजों को झेलने के लिए प्रस्तुत रहना। जिधर मुड़े सारी उर्जा पूरी तरह उधर ही झोंक देने की लत के अनुसार अपना सारा कैरियर इसी प्रयोग के पीछे खपा देने के बाद जिस निश्कर्श पर पहुँचा वह यह है कि सामान्यतया भ्रश्टाचार के जरिए बिहार को डुबोने में राजनैतिक नेतृत्व और नौकरशाही का सहयोगी बनकर ही सेवा में बने रहना ग्लानिजनक महसूस हेने के कारण स्वेच्छया सेवा निवृति का मार्ग चुनना पड़ा। अब शेश उर्जा पुनः साहित्य सेवा और आजादी बचाओं आन्दोलन, जिन्हें ये एक दूसरे ाक पूरक मानते है। में झोकने की ओर का उपक्रम है।


गोरे लाल मनीषी (स्व.) | अंगिका साहित्यकार
Gore Lal Manishi (Late) | Angika Litterateur



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