आनन्द शंकर माधवन
यह गौरव की बात है कि दक्षिण भारत के मूल निवासी आचार्य आनन्द शंकर माधवन अंगजनपद के पौराणिक स्थल मंदराचल के क्षेत्र में ज्ञान का प्रकाश फैला रहा हैं।
इन्होनें 1945 ई0 में बौंसी (जिला बाँका) के मंदार पर्वत की तलहटी में मंदार विद्यापीठ की स्थापना की हैं। शिक्षा का प्रचार प्रसार करते हुए इन्होनें हिन्दी में विविध विधाओं में दर्जनों पुस्तकें लिखकर प्रकाषित कराई है।
एक दक्षिण भारत के सन्यासी ने मंदराचल अपना कार्यक्षेत्र चुना और हिन्दी में इतनी सारी महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी यह कम गौरव की बात नहीं है।
अंगिका से इन्हें काफी प्यार है। मेरी अंगिका पुस्तक पर एवं अंग माधुरी पर अपनी शुभकामना लिखी है। अंगिका में भी स्वयं इन्होें कई छोटी -छोटी रचनाएँ की है।
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